साइकिल बहुत अच्छी चल रही थी । हाथी को टक्कर देने के मूड में थी ,दे भी देती मगर जो कुछ हुआ उससे साइकिल की आत्मा को बहुत ठेस पहुँच । हाथी से मुकाबला होने से पहले साइकिल के सारे सपने टूट गए और अब साइकिल भी टूटने के कगार पर है । जिन लोगों को साइकिल सबसे अधिक प्रिय था वहीं लोग उसके टुकड़े करने पर तुले है ।अभी तक तो मुलायम सिंह जी साइकिल की हैंडिल अपने हाथ में होने का दावा कर रहे हैं मगर रामगोपाल और अखिलेश पैडल पर पैडल मारे जा रहे हैं ।शिवपाल यादव टायर तो थे पर अब हवा कम होती जा रही है ।आजम खान चैन बनकर आये थे तो थोड़ी आगे बढ़ी थी । अब जाने क्या होगा अमर सिंह बार-बार ब्रेक बन जा रहे हैं ।साइकिल से ब्रेक हटाने का फैसला हो गया ताकि सरपट दौड़े पर हैंडिल जिसके हाथ में है उसके रास्ते अलग है और पैडल मारने वाले उसे दूसरे रास्ते पर के जाना चाहते हैं । समाजवादियों की प्रिय साइकिल टूटेगी तो सभी को दुःख होगा ,उसका सारा पार्ट महत्वपूर्ण समाजवादियों के हिस्से में आएगा । पार्टियाँ बनेगी और फिर चुनाव का नजारा कुछ अलग ही होगा । एक दो दिन में फैसला आ जायेगा पर मैं तो इसी सोच में डूबा हूँ कि अगर साइकिल टूट गयी तो तो घंटी किसके हिस्से में आएगी
No comments:
Post a Comment