किस्मत हो तो अमर सिंह के जैसी हो भगवान,
चुप रह कर भी बड़े-बड़ों के काट रहे हैं कान |
चुप रह कर भी बड़े-बड़ों के काट रहे हैं कान |
पहले बाहर गए सपा से फिर अंदर आये
जाने कैसी लालच देकर सबको भरमाये
जिसने पहले धक्का देकर फेंका था बाहर
आज वहीं रटता रहता है हरदम अमर अमर
जाने कैसी लालच देकर सबको भरमाये
जिसने पहले धक्का देकर फेंका था बाहर
आज वहीं रटता रहता है हरदम अमर अमर
सटे मुलायम से जबसे ये ,भागा आजम खान । चुप रह कर भी........
इनके कारण दुश्मन हो गए चच्चा और भतीजा
बैठक कई हुई लेकिन कुछ निकला नहीं नतीजा
भाई-भाई दुश्मन हो गए मजा ले रहें रोग
सब चिंता में हैं लेकिन ये रहें खूब सुख भोग
बैठक कई हुई लेकिन कुछ निकला नहीं नतीजा
भाई-भाई दुश्मन हो गए मजा ले रहें रोग
सब चिंता में हैं लेकिन ये रहें खूब सुख भोग
जयाप्रदा भी इनके खातिर सहती हैं अपमान । चुप रह कर भी........
इनके किस्से बहुत सुने हैं है इतिहास पुराना
हंगामा है मचा, जहाँ है इनका आना जाना
घर में घुसते ही ये चालू खुराफात करते हैं
बच्चन जी हो या अम्बानी इनसे सब डरते हैं
हंगामा है मचा, जहाँ है इनका आना जाना
घर में घुसते ही ये चालू खुराफात करते हैं
बच्चन जी हो या अम्बानी इनसे सब डरते हैं
कैसे हुए मुलायम के प्रिय,पब्लिक है हैरान | चुप रह कर भी........
हैं अखिलेश बहुत गुस्सा पर जब हथियार चलाएंगे
इनके हुनर के आगे सारे वार ध्वस्त हो जायेंगे
अभी और लड़वाएंगे शायद ये कसम उठायें हैं
हमको तो लगता है कोई बदला लेने आये हैं
इनके हुनर के आगे सारे वार ध्वस्त हो जायेंगे
अभी और लड़वाएंगे शायद ये कसम उठायें हैं
हमको तो लगता है कोई बदला लेने आये हैं
सपा डुबाकर ही आएगी जान में इनके जान । चुप रह कर भी........
किस्मत हो तो अमर सिंह के जैसी हो भगवान,
चुप रह कर भी बड़े-बड़ों के काट रहे हैं कान |
चुप रह कर भी बड़े-बड़ों के काट रहे हैं कान |
(हास्य कवि विनोद पांडेय )
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