दीनापुर गाँव का जूनियर हाईस्कूल आज रोज से कुछ अधिक चमक रहा है । स्वच्छ-भारत अभियान का असर यहाँ भी दिख रहा है । स्कूल के मास्टर और बालक-बालिकाएँ भी साफ-सुथरे कपड़ों में नजर आ रहे हैं । शम्भुनाथ चपरासी सफाई के साथ-साथ प्रधानाचार्य को गाली देने में व्यस्त है कि यदि सफाई रोज होती तो आज इतनी मारामारी नहीं करनी होती । उधर प्रधानाचार्य तिवारी जी के चेहरे पर खिंची चिंता की लकीरें देखकर साफ़ अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज स्कूल में कोई बड़ा अधिकारी आने वाला है।
दोपहर के बारह बजे थे । जिला विद्यालय निरीक्षक जी कार से उतरे और धड़धड़ाते हुए प्रधानाचार्य कक्ष में प्रवेश किये । प्रधानाचार्य जी,शम्भुनाथ को सफाई के लिए निर्देश पर निर्देश दिए जा रहे हैं । शायद यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि स्कूल में सफाई अभियान को लेकर वो कितने सक्रिय हो चुके हैं ।
बड़े साहब को देखते ही तिवारी जी सम्बोधन के लिए उठे पर जैसे ही बोलना शुरू किये कि पान की पीक मुँह से बाहर निकलकर कुर्ते को छूती हुई जमीन पर आ गिरी ।
बड़े साहब मुस्कुराते हुए बोले,तिवारी जी सफाई अभियान में आपका योगदान तो सराहनीय है पर एक काम और कीजिये, एक पीकदान अपने साथ में रखिये ताकि कमरे के कोने की सफाई पर अधिक मेहनत न करनी पड़े और आपका कुर्ता भी हमेशा चमकता रहे ।
इस बार शम्भुनाथ भी हँस पड़े । तिवारी जी खिसियाते हुए इधर-उधर देखने लगे ।
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