मुलायम सिंह जी ने पार्टी को खड़ा करने के लिए क्या-क्या नहीं किया था । शुरुआत में पुलिस की लाठी-डंडे खाये,सडकों पर पिटे,घसीटे गए,जेल की हवा भी खानी पड़ी ।पहलवान आदमी थे तो झेल गए,ढीले-ढाले होते तो 77 वां बसंत देखने की नौबत नहीं आती । पार्टी को पार्टी बनाने में तन,मन,धन सब झोंक दिया । परिवार को टाइम नहीं दे पा रहे थे तो परिवार को भी पार्टी में शामिल कर लिए ,रिश्तेदारों को टाइम नहीं दे पा रहे थे ,रिश्तेदारों को पार्टी में शामिल कर लिए ।सब मिलकर परिवार की तरह पार्टी को आगे बढ़ाते रहे अब और आगे बढ़ा रहे हैं । यह सौभाग्य की बात है कि पहले सारा निर्णय मुलायम सिंह लेते थे और मान्य होता था पर आज उनके भाई और बेटे भी निर्णय ले सकते हैं ,यह उनके लिए गर्व की बात है । पार्टी उत्तर प्रदेश में विधायकों के टिकट के बँटवारे पर दो फाड़ हो गयी । दो-तीन लिस्ट आ गए । यह पार्टी के बड़प्पन का नतीजा है । पार्टी बड़ी हो चुकी है और पार्टी में बच्चे भी बड़े हो चुके है ,नेताजी को यह सब समझाना चाहिए । दो-तीन लिस्ट नहीं और भी कई लिस्ट आ सकते हैं ,अब उन्हें चुप रह कर ,पानी का धार देखना चाहिए । क्योंकि कोई कमजोर नहीं हैं आखिर है तो यादव परिवार का ही खून ।
मुलायम सिंह जी को एक बार विचार करना चाहिए कि मारामारी बड़े खानदानों में ही होती है और अब परिवार के बच्चे बड़े हो गए हैं अतः बड़े बूढ़ों को चुप रहने में ही भलाई है । वो आज के हिसाब से निर्णय लेंगे तो सही ही लेंगे एजेंडा बदलती रहती है । माना आपको और आपके भाई को दबंग बहुत प्रिय है ,जो जेल में बंद है वो पार्टी के आँख के तारे हैं पर जरुरी नहीं की पार्टी हमेशा दबंगों के सहारे ही जीतेगी । युवा नेता जनता का मन भाँप रहे हैं ,उन्हें भी कुछ समझ में आ रहा होगा अतः उनकी भी मान लीजिये । समय बदलता रहता है ,आज समय बदल गया है । आप जिद पर रहे तो कुछ भी हो सकता है । पार्टी और सत्ता का सुख लेना है तो थोड़ा विवेक लगाइये ,हालाँकि बुढ़ाई में थोड़ा कम काम करता है पर सोचिये तो सही । जनता के मन पर भी विचार कीजियेगा ,परिवार बहुत बड़ा है ,उसका भी संभालना है तो दोनों की सुनकर बीच कर रास्ता निकालिये वरना घर और घाट कुछ भी नहीं मिलेगा । उधर दूसरी पार्टियाँ मजे लेने के मूड में हैं ही ,वो तो बस इंतज़ार है की किसकी लिस्ट मानी जाती है और कौन विद्रोह करता है । समाजवादी पार्टी आज लिस्टवादी पार्टी बन रही है । नेताजी संभालिये इसको या तो बजरंगबली का नाम लेकर सारी चिंता छोड़ दीजिये ।सुझाव मानिये या मत मानिये मेरी बात का बुरा मत मानियेगा । मैंने तो बस ऐसे ही कह दिया ।
--विनोद पांडेय
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