Sunday, September 12, 2021

चेहरा बदल लिया - विनोद पाण्डेय

मुक्तक - 1  


आँखें न हुई ठीक तो चश्मा बदल लिया  
हर दाग छुपा रह गया कपड़ा बदल लिया 
अपना चरित्र सिर्फ बदलना था उसे पर 
शातिर का बाप था वो, चेहरा बदल लिया

~ विनोद पाण्डेय





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