मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने
चंद लम्हें थे मिले,भींगी सुनहरी धूप में, हमने सोचा हँस के जी लें,जिन्दगानी फिर कहाँ
Sunday, September 12, 2021
चेहरा बदल लिया - विनोद पाण्डेय
मुक्तक - 1
आँखें न हुई ठीक तो चश्मा बदल लिया
हर दाग छुपा रह गया कपड़ा बदल लिया
अपना चरित्र सिर्फ बदलना था उसे पर
शातिर का बाप था वो, चेहरा बदल लिया
~ विनोद पाण्डेय
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