अभी पिछले सप्ताह सचिन तेंदुलकर जी ने अपनी आत्मकथा लिखी । आत्मकथा गद्य साहित्य की एक विधा है । इस प्रकार सचिन तेंदुलकर जी अब साहित्यकार भी बन गए ।
कितना आसान होता है एक राजनेता,खिलाडी,अभिनेता,समाज सेवक का एक प्रसिद्ध साहित्यकार बन जाना और बेचारा साहित्यकार आजकल तो ठीक से साहित्यकार भी नहीं बन पाता है और बन भी गया तो सिर्फ साहित्यकार ही रह जाता है ।
कितना आसान होता है एक राजनेता,खिलाडी,अभिनेता,समाज सेवक का एक प्रसिद्ध साहित्यकार बन जाना और बेचारा साहित्यकार आजकल तो ठीक से साहित्यकार भी नहीं बन पाता है और बन भी गया तो सिर्फ साहित्यकार ही रह जाता है ।
1 comment:
ये विशिष्ट व्यक्ति अपनी उपलब्धियों के कारण आत्मकथा लिखने के हकदार बनते हैं और ये आत्मकथाएं प्रेरणास्पद भी होती हैं।
Post a Comment